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माँ…
एक ऐसा शब्द जो रूह को छु ले …
जो अतुलय है..
जिसकी तुलना भगवान से भी नहीं की जा सकती..
माँ आप है तो मेरी पूरी जिंदगी रोशन है..
आप ने मुझे जीना सिखाया…
आप ने मुझे दुनिया दिखाई…
गिरकर उठाना सब कुछ आपसे ही तो सीखा है मैंने..
हर छोटी सी छोटी बड़ी सी बड़ी गलती को,
मुस्कुरा कर माफ़ किया..
मेरे हर दुःख को आधा और ख़ुशी को दोगुना किया.
माँ आपने तो मेरी हर ख्वाइश पूरी की ..
हर मुश्किल से मुझे दूर रखा..
माँ मुझे आपसे कभी दूर नहीं जाना..
ये दुनिया बहुत बड़ी है और बहुत बुरी..
मुझे इस हैवानियत भरी दुनिया में नहीं जीना..
जहाँ मानवता की , इंसानो की कोई कदर न हो..
माँ ये दुनिया हवस की पुजारी है,,
जहाँ नन्ही सी जान को पल- पल
कुचल दिया जाता है..
अब तो अपने ख्याल से भी डर लगाने लगा है..माँ..
ये दुनिया बहुत ज़ालिम है ,, अब तो खुद पर
भी यकीन नहीं है..
ज़िन्दगी भी बस दुनिया की गुलाम बन कर रह गई है..
बस एक छोटी सी ख्वाइश है,इस दिल की..
आज मैं फिर वो नन्ही सी जान बन जाऊ..
जो आपसे जुड़ी थी,जब उसने ये दुनिया नहीं देखी थी.
आपकी हर एक सांस मेरी थी..
माँ आपकी हर एक हरकत से सुकून आता था मुझे..
वो भी क्या वक़्त था, जब आपने बिना देखे किसी को..
महसूस करना सिखाया..
आपका हसना ,रोना सब जानता था दिल ,शायद यही
तो अहसास और प्यार था जोकी आपके रोने पर तड़प
उठता था दिल ..
वो भी एक हसीन पल था जब मेरी पूरी दुनिया आपमें
और आपकी मुझमे थी..माँ..
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