Maa
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१.हक़ीक़त में हमदर्दी नहीं मोहब्बत था,
उन्हें हमसे.
शायद तभी तो आज भी जहाँ,
प्यार के फशाने नजर आते है,
वहाँ उनकी,
वफायें याद आती है.
२.समझ नहीं आता की सारी बातों को उन्होंने,
यक़ीनी से कहा था या बेयक़ीनि से..
शायद अगर खुद पर यक़ीन होता उन्हें तो,
आज मुझे यक़ीनी और बेयक़ीनि के भवर में,
अकेला न छोड़ा होता.
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