Menu
blogid : 23167 postid : 1112085

ज़िन्दगी की एक खूबसूरत सी गलती

Maa
Maa
  • 27 Posts
  • 23 Comments

दिन था सोमवार १० सितम्बर शायद ये दिन मैं कभी न भुलु .
आज ही वो दिन था,जब मैंने माँ-बाबू जी के बिना इस स्वार्थी भरी दुनिया में अकेले चलना सिखा.आज तक मैंने बस सुना था,दुनिया बहुत बड़ी और रंगीन है.,
देखने में तो बहुत खुबसुरत है लेकिन इसमे बहुत सारे बहरूपिये रहते है बच कर रहना, बस ये आवाज़ मेरी बड़ी बहन की आई,उन्होनें समझाते हुए कहा..बीट्टु ख्याल रखना.
बाबू जी शांत थे लेकिन उनकी खामोसी सब बयान कर रही थी की वो परेशान थे सिर्फ मेरे लिए…
आज सब के चेहरे मुरझाए से नजर आ रहे थे , शायद उसकी वज़ह मैं थी.मुझे बिलकुल भी अच्छा नहीं लग रहा था..आज मेरे कॉलेज का पहला दिन था,माँ की आँखे लाल थी, रुआँसी चेहरे बना कर कहा बिट्टू तू तो मेरी शान है मेरी परवरिश का ख्याल रखना बच्ची..हमेशा खुश रह.
मेरी दिल की धड़कने तेज़ होती जा रही थी जब दीदी ने कहा अच्छा बिट्टू अब हम चलते है.मेरे चेहरे पर तो बारह बज़ गए और उस वक़्त मुझे लगा मत जाओ आप सब यहीं रहो ना मेरे साथ,,
तब ही एक कड़ी सी आवाज़ आई सुनो तुम्हारे क्लासेस स्टार्ट हो गए है तो तुम अपना सामान रूम में शिफ्ट करो और क्लासरूम जाओ..
तो मुझे समझ आया ,ये है मेरी वार्डन ,,हमेशा की तरह जैसे फिल्मो में देखा था…बस उस दिन तो घड़ी की सुइयां भी तेज़ गति से चल रही थी,,और परिवार वालो से बिछरने का समय भी आ गया,,माँ ने गले लगाया सब से अलविदा और आशीर्वाद लेते हुए अपनी ज़िन्दगी की नयी सफर पर चल पड़ी…
मैं कुछ सोच पाती उससे पहले मेरी नजर कलाई पर बंधी घडी पर पड़ी..देखा तो १०:०० बजने ही वाले थे,,,मैं बस पागलों की तरह क्लासरूम के तरफ दौर पड़ी.
सब कुछ नया था समझ नहीं आ रहा था ,,कौन से राश्ते पर जाऊँ..फिर मैंने लम्बी सी सांस ली और विभाग़ निर्देशित तीर की मदद से पहुँच गई अपनी सपनो की दुनिया में…
पहला कदम अपने विभाग में रखते हुए मैंने चारो ओऱ नजर फ़िराई तो देखा सब खड़े थे वहाँ एक मोहतरमा और एक सज्जन भी थे.,,मैं तो बस घबरा गई, ये क्या? पहले दिन ही पनिशमेंट,,लेकिन ये तो कॉलेज था..
मैं क्लास के अंदर आने की अनुमति ले पाती उससे पहले ही मोहतरमा ने कहा “आइये और स्थान ग्रहण कीजिए”
मैं जल्दी से अपने स्थान पर गई ओऱ खड़ी हो गई..अब थोड़ा अच्छा सा लगने लगा था…लगे भी क्यों ना वहीँ बाजु में खड़ी लड़की बातो बातो में ही मेरी कॉलेज की पहली फ्रेंड बन गई थी.
कॉलेज के पहले ही दिन हमे सबसे वाकिफ कराया गया,,लेक्चरर से लेकर, हमारे विभाग के क्लास रूम और हर एक प्रयोगशाला….शायद आज का दिन बहुत अच्छा रहा..
सोचा था,पहले दिन की तरह कॉलेज का दुसरा दिन भी भागते भागते गुजरेगा..आज तो मैं क्लास शुरू होने से १/२ घंटे आ गयी थी और पूजा’ मेरी नई फ्रेंड’ उसकी इंतज़ार में डूबी हुई थी सब एक दूसरे से मिल रहे थे,, और इंतज़ार में थे कब क्लास शुरू होगी तभी मुझे ज़ोर से हसने की आवाज़ आई..और वही क्लास से थोड़ी दूर पर १ लड़के को ३-४ लड़को ने घेर रखा था,,उसे जलील कर रहे थे.उसकी मजाक उड़ा रहे थे,,,,फिर पता चला की ये रैगिंग हो रही थी..
अचानक से शोर मची क्लास रूम में चलो लेक्चरर आ गए,, सब डरे सहमे क्लास में आये..क्लास ओवर होने तक सबके मन में रैगिंग का डर बुरी तरह से भर चूका था…मेरे कुछ क्लासमेट तो लंच करने से भी डर रहे थे..जिधर भी जाओ रैगिंग..कोई खुश नहीं था.. शायद ये खबर हमारे डायरेक्टर को लगी..हमारे सीनियर को वार्निंग दी गई.
“Each and every junior are like a electric wire if you touched them then may be you loose your life So mind it.” बस आज का दिन बड़ा ही खौफनाकः था..
इस तरह की स्थिति में भी हमारे क्लास हो रहे थे,,धीरे धीरे ४-५ दिन लग गए सब को पिछली बात भूलने में.
अचानक से मैंने अपने क्लास में नए चेहरे को देखा,,एक चहकती,,चंचल सी लड़की और शायद खूबसूरत भी..झट से मेरे मान में ख्याल आया ये तो मेरे जैसी है…इसे ही अपनी बेस्ट फ्रेंड बना सकती हुँ..
शायद ये सपना बन कर ही रह गया,,वो क्लास में बस मुझे छोड़ कर सब से बाते करने में वयस्त थी..लेकिन नहीं मैंने हार नहीं मानी क्या हुआ अगर उसने मुझे नहीं देखा मैं ही काफी थी,,,मैं उसके पास गई और पूछ ही डाला कहा,” हेलो” तुम्हारा नाम क्या है?उसने प्यार से मुश्कुराया और कहा “परी”..
शायद ये पल मेरी ज़िन्दगी का खूबसूरत सा हिस्सा बन चूका था सोचा न था की ज़िन्दगी बदलने वाली थी..
धीरे-धीरे हम अच्छे दोस्त बनते जा रहे थे..परी का मेरी लाइफ में आना,,उससे बाते करना..अच्छा लगता था मुझे ..अब तो ऐसा होते जा रहा था की घर की यादे उतनी नहीं शताती थी..बस अब मैं और परी इतना ही काफी था मेरे लिए और उसके लिए भी ..और वो पूजा और मेरे क्लासमेट हमारी फ्रेंडशिप को देखकर जलन महसूस करते थे..
सुबह से लेकर शाम तक हम साथ रहते थे,,कॉलेज से लेकर हॉस्टल तक, इसके वाबजूद की हमारा कमरा अलग था.कभी वो मेरे कमरे में तो कभी मैं उसके कमरे में…हमारी बाते तो रात भर खत्म नहीं होती थी…कभी परोस की रीना ऑन्टी,,तो कभी अपनी अपनी गाँव की बाते,,कभी हॉबी तो कभी परिवार की बाते..बचे समय में तोड़ी पढाई की बाते भी कर लिया करते थे..
और ये बाते तो कभी भूल ही नहीं सकती जब मेरी और परी की बत्तमीज़ लड़को से पंगे हो जाया करते थे,,किसी भी मोड़ पे हमने एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ा.
उससे बाते करके सब खुश रहते थे ..और वो भी सबके सामने ठहाके लगते मिलती थी,,किसी की भी कोई भी प्रॉब्लम हो वो झट से परिणाम निकल देती थी,, एक्सपर्ट जो थी.वो….
बस एक ही कमी थी उसमे,,जो सिर्फ मुझे दिखती थी..कुछ तो था जो उससे अंदर ही अंदर कुरेदता था..
धीरे धीरे वो साल बीतते जा रही थी,,हम शायद बड़े हो रहे थे…हमारे स्टडी के बस एक साल और बचे थे..हमारे घर वाले शादी की बाते करने लगे थे..

इसी बीच मैंने परी को अपनी कजिन की एक स्टोरी सुनाई..दो लाइन्स ही कहा था मैंने, की मेरी कजिन किसी लड़के से प्यार करती थी घर वाले राज़ी नहीं हुए तो,, “उन्होंने घर छोड़ दिया..हमारे घर में लव मैरिज में कोई विस्वास नहीं करता..”

मैं एक आम मिडिल क्लास लड़की जिससे सिर्फ अपने परिवार,पढाई और सफलता से मतलब था,,जिसे किसी से प्यार करने का भी हक़ नहीं था..
जिससे कोई अपना सा लगने लगे फिर भी ना चाहते हुए भी उसका दिल तोड़ना पड़े..
शायद मैं अपना विचार दे रही थी शादी को लेकर…इतना ही कहा था मैंने की परी ने कहा समझ गई मैं…और उसकी आँखे भर आई..

उसने कहा था ,” मैंने बचपन से ही हर परिस्थिति को झेलना सीखा है,,अगर बेवक़्त,बेवजह आने वाली परिस्थिति की वजह मैं हूँ तो उसे दूर करने का हक़ भी मेरा है,,कभी अपनी ज़िन्दगी से हार नहीं माना मैंने..मेरी पारिवारिक स्तिथि शुरू से अच्छी नहीं थी,,घर में माँ,, बाबू जी, तीन बहने और एक भाई..बाबू जी किसान थे..भाई बहनो की परवरिश अच्छे से नहीं हो पाती है ”
“बचपन से ही मैं अपनी बड़ी माँ के साथ रही..सब कुछ ठीक होते हुए भी मैं खुश नहीं थी उनके साथ,,अपनापन दिखाते हुए झट से परया कर देती थी वो और उनके परिवार वाले…हमेसा से नौकरो की तरह पेश आते थी वो..मैं हमेशा से सोचती, कोई बात नहीं हर अंधरे की सुबह होती है..लेकिन वो कभी नहीं हुआ..
इसलिए शायद मेरे परिवार वालो को मेरे से बहुत उम्मीद थी ..मैंने हमेशा से दुसरो के मुताबिक ज़िन्दगी जी थी .
आज मैं जहाँ भी हुँ बस अपने बड़े बाबू जी के वजह से हुँ.”

“हमेशा से मेरी ज़िन्दगी में प्यार की कमी रही….थी ..इसलिए शायद मैंने एक खूबसूरत सी गलती कर दी थी जब मैं क्लास 12 में थी…
उस वक़्त मैं ना तो किशोरी थी ना ही बच्ची..जब मैंने एक गलत रास्ता अपनाया और उस गलत राह पर चलना मुझे अच्छा लग रहा था,,,शयद उससे सच की परछाई नजर आ रही थी..मुझे..
“मेरी ज़िन्दगी की खूबसूरत सी गलती” जब मैंने अपने रिश्तेदार को कॉल करते करते अनजाने में रॉन्ग(गलत) नंबर को कॉल करते हुए शायद राइट नंबर पर कॉल कर दी था..
एक लड़का जिसने मुझे ‘ज़िन्दगी जीना सिखाया ‘, ‘जिसने मुझे ज़िन्दगी के मायने बताये ‘, ‘जिसने मुझे प्यार का मतलब बताया’, ‘जिसने मुझे दूसरी ज़िन्दगी दी’,और’ शायद मेरे पास आज भी खुद का वजूद छोड़ गया है’..

“आज मैं (बिट्टू) बहुत हैरान थी,परी की बातो को सुन कर मैं दुखी नहीं थी ,,बस ख्याल आ रहा था,,ईश्वर ने फरिश्ता भेजा है जो इतना कुछ सह कर भी सबको हँसाता है और खुश रखता है..उसके आते ही सब खुश हो जाते है,,और उसकी खूबसूरती की तो मैं कायल थी,,जितनी वो दिल से अच्छी थी उतनी ही खूबसूरत भी; मैं क्या करीब सभी लड़के दीवाने थे उसके,और परी किसी और की दीवानी…”

“लेकिन आज परी को मैंने आँख भर जाने के वाबजूद हस्ते देखा…
और आज मैंने हर स्तिथि में जीना और खुश रहना सीखा..
वो कहते हैं ना हर कोई फरेबी नहीं होता,, बस एक बार विश्वास हो जाये तो अच्छे लोग भी हैं इस दुनिया में,,
हम किसी के दबाब में आकर किसी इंसान को गलत और सही नहीं कह सकते,,,और प्यार क्या वो तो ज़िन्दगी का एक हिस्सा हैं,,जो हर किसी से जुड़ा,,चाहे वो माँ हो,,पिता हो,भाई हो,बहन हो,पत्नी हो या पति..
बस एक फर्क क्यों आ जाता है,,अगर हमे कोई अच्छा लगने लगता है..बस इसलिए की समाज में सर झुकाने की नौबत आ जाती है..
लेकिन आज यही समाज उसी ईश्वर को भी पुजता जिन्होंने भी प्रेम की और “प्रेम” शब्द को अमर रखा..चाहे वो राम-सीता हो,शिव-पार्वती हो,या राधे-कृष्णा..
हाँ जरुरी नहीं की अगर हम किसी को प्यार करे तो वो इंसान मिल जाये,,,लेकिन हम अपने प्यार के खातिर प्यार शब्द की कदर तो कर सकते है ना..
मेरी परी जहॉ भी है वो बिल्कुल खुश है,,शायद उसे अपनी ज़िन्दगी में प्यार ना मिला लेकिन उसने प्यार के मायने और प्यार शब्द की कदर करना सिख ली…

“So…Respect your love for each and every relation…”

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh