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पहला प्यार…

Maa
Maa
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आज सोमवार है ना, शायद हॉस्टल से आये मुझे एक सप्ताह हो गए थे..,,साल की आखिरी छुट्टी जो हुई थी..मैं हमेशा की तरह खुद को घर की साफ़- सफाई,,
रसोइये में माँ का हाथ बटाना..पास ही आपने,ताऊ,ताई जी,, अपनी बहन से इधर- उधर की बातों से खुद को व्यस्त रखी थी..
जब से मैं हॉस्टल से आई थी तब से मन में हलचल सी मच रही थी..बार बार ख्याल आ रहा था कहीं मैसेज ना आ जाये…
आप भी सोच रहे होंगे मैसेज और किसका…

वास्तव में…एक लड़का था,,जो अनदेखा था,,,जिसके बारे में मेरी बेस्ट फ्रेंड अक्सर बातें किया करती थी और..शायद मुझे उस अन्जाने लड़के से प्यार हो गया था…
इतनी बेचैनी, इतनी बेताबी मुझे ज़िन्दगी में कभी ना हुई थी इसकी खबर तब मुझे लगी “जब रोटी बनाते बनाते,,हाथ जलने के वाबजूद मुझे जलन महसूस ना हुई थी. और मेरी बहन ने कहा था दीदी रोटी जल गई और शायद रोटी बनाने वाली भी”….
आज मैंने किसी को महसूस करना सिख लिया था,,,शायद हर आहट से उनसे मेरा वास्ता जो हो गया था…तभी तो मैं वास्तविकता से दूर होती जा रही थी…
वो कहते है ना हर किसी के ज़िन्दगी में कोई ना कोई..कभी ना कभी.,.किसी ना किसी मोड़ पर आता है…और अक्सर ना चाहते हुए भी दिल फुर्र से उड़ जाता है…मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ…

मेरी बेस्ट फ्रेंड हाँ -हाँ मेरी “वर्षा” बहुत चंचल और बहुत ही खुले विचार की लड़की थी..हमे करीब साथ रहते १ साल होने जा रहे थे अब तक मैं भी उसे अच्छे तरीके से जान गई थी और वो मुझे..
वो मुझसे अक्सर अपने बचपन के दोस्त के बारे में बाते कर लिया करती थी…जो उससे सालो सालो बाद मिल पता था….आखिर इंजीनियर जो था,” कहाँ उसके पास इतना समय होगा जो इस बातूनी के लिए वो निकाले….मैंने मजाक करते हुए वर्षा को कहा…”
अब वर्षा वो भी कम तोड़े थी झट से बिना सोचे समझे कह डाला- ओये ‘पाखी’ मेरे फ्रेंड का क्या होगा..तेरी शादी उससे ही करवाउंगी..
और उसके इस रवैये से चिढ़ जाती थी मैं…और चिढू भी क्यों ना…अरे चलते फिरते किसी के तरफ नजर उठा कर देख भी नहीं पाती थी मैं,,,,और वर्षा का दोस्त बीच में आ जाता था…
है कौन..दिखता कैसा है…करता क्या है..हजार तरह के सवालो से घिर जाती थी मैं वो भी उस अनजाने की वजह से….ऊऊहह

सोचती थी आखिर ये है कौन,,जिसके बारे में मेरी बेस्ट फ्रेंड इतनी तारीफ, नहीं नहीं शायद तारीफ से जय्दा बुराई करती थी..वो मुझे छिपकली कहता है ..ओवर स्मार्ट समझता है ..फिर भी अगर है तो होगा अपने लिए हर वक़्त मुझे छेड़ना ,चिढ़ाना..उसकी बुराई करते नहीं थकती थी वो..दिखता था, “वर्षा की ज़िन्दगी में उस लड़के की अहमियत फैमिली से जय्दा थी..उसकी हर छोटी सी छोटी बड़ी सी बड़ी गलती पर उसने वर्षा को उसके फैमिली वालो से बचाया..पढाई हो ,घर वालो की मार हो.ताने हो.,,हर वक़्त हर जगह उस लड़के ने( जो मेरे लिए अनजाना था ) वर्षा का साथ दिया था..

शायद बचपन से ही दोनों एक रूह और दो जान थे..बचपन से ही घर वाले उनकी शादी भी करवाने चाहते थे,लोगो की नजर में उनका रिश्ता कुछ और ही था ..और उन दोनों की नजर में उनका रिश्ता दोस्ती का सिर्फ दोस्ती ..मुझे भी शायद उनके इस अनमोल से रिश्ते को समझने में तोड़ा सा वक़्त लगा..जब वर्षा ने मुझे समझाते हुए कहाँ पाखी तू मेरी बेस्ट फ्रेंड हैं मैं उस बन्दर को पसंद करती तो पक्का तुझे बताती हम सिर्फ दोस्त हैं,,मैं बस उसके लिए परेशान रहती हुँ,की कोई अच्छी सी लाइफ पार्टनर मिल जाये उसे तो बस अच्छे से सेटल भी हो जाये ..इसलिए तो तुझे कहती हुँ की शादी कर ले उससे..कहते हुए, “उसने जोर से ठहाके लगाये..औए कहाँ मजाक कर रही थी सदमे से बाहर आजा.”पाखी”

छोटे – छोटे शहरों की तरह यादो के इस शहर में भी हजारो फैमिली आज भी निम्न विचार के थे ..उनमे से एक मेरी फैमिली भी थी..अगर गलती से भी किसी को कोई पसंद करता/करती, तो मन ही मन उनके विचार दबे-दबे मिट जाते थे..
इतने निम्न विचार के लोगो के बीच में रहते हुए भी मेरा दिल पिंजरे से उड़ने को तैयार हुआ जा रहा था..न जाने इसे किस चीज़ की कमी खल रही थी,,सब कुछ तो था इसके पास..घर..परिवार..माँ ..बाबू जी..बहन..भाई फिर भी कुछ तो था जो उसे मजबूर कर रहा था उस अनजाने के बारे में सोचने के लिए..

वो कहते है ना, “प्यार में इंतज़ार के पल कभी ख़त्म नहीं होते…उस दिन इन्ही ख्यालो में सोचते सोचते मैंने पूरा दिन युही बिता दिया था,,हर एक पल ऐसे बीत रहा था जैसे जान हलक में अटक गई हो…और हो भी क्यों ना उनका मैसेज आया,” वो भी उस वक़्त जब मैं पूरी तरह से फैमिली वालो से घिरी थी..
हर मुश्किलों से दूर होकर मैंने उन्हें रिप्लाई किया..और मुझे पता चला की वो भी मुझे प्यार करते हैं,,,जबसे उन्होंने मेरे बारे में सुना था..और मुझे वर्षा के जन्म दिन की फोटो में देखा था..

हर किसी से बच कर बचा कर ये दिल उनसे बाते करने में,,उनके बारे में सोचने में,,ख्याली पुलाव बंनाने में लगा हुआ था.जब हम दोनों ने सोचा था की परिवार की सहमति से ही हम शादी करेंगे …क्या पता था इसे की हमारी दास्तान ज्यादा दिनों की नहीं ..इस दिल को पता भी ना चला था की इसकी प्यार की शुरुआत कब हुई और कब ख़त्म…
जब अचानक से लड़के(अनजाना) की घर की पारिवारिक स्तिथि बिगड़ने लगी..सब कुछ तितर- बितर हो गया…सब कुछ बिखर गया जब उसकी माँ को दिल का दौरा पड़ा…और वो नहीं बच सकी…पिता जी सरकारी कर्मचारी थे,,,समय के साथ सबने सोचा सब ठीक हो जायेगा…लेकिन दिन पर दिन सब बिगड़ता चला गया….पिता जी माँ के देहांत के बाद गुमसुम रहने लगे थे,,,सदमे में रहना..किसी से बाते न करना…अकेलापन उन्हें खाने लगा था…धीरे-धीरे समय के साथ पिता जी भी चल बसे…
परिवार वालो ने सम्बन्ध रखना कम कर दिया…भैया-भाभी भी उनसे दूर हो गए…अब बचे सिर्फ ये “अनजाना लड़का” …”एकलौता चिराग”…. वर्षा से ये सब खबर मुझे मिली थी करीब १ साल बाद जब मैं हर वक़्त,,,उस अनजाने लड़के का इंतज़ार करती थी….की कम से काम एक मैसेज तो आ जाये लेकिन नहीं आया…
अब मेरे और वर्षा के सफर के रश्ते भी अलग हो गए थे उसकी जॉब लग गई थी और मैं अपनी हायर स्टडी के लिए मुंबई चली आई थी…
अब तो मेरी पूरी ज़िन्दगी बदल गई थी…सुबह कॉलेज….क्लासेज..प्रैक्टिकल…शाम होते -होते हॉस्टल लौटना…फिर नाईट स्टडी…फिर सोना….
इतनी भागा- दौड़ी होने के वाबजूद सिर्फ के ही चीज़ था जो नहीं बदला था…वो था “इंतज़ार”…
हर रोज रात में मेरी नजर मोबाइल पर टीकी रहती थी शायद मैसेज आ जाये…और ऐसे ही आश लगाये नींद भी आ जाती थी….
कभी कभी वर्षा से भी बाते हो जाया करती थी…और हर बार वो मुझे कहती थी भूल जा उसे…वो नहीं आएगा…वो बहुत दूर चला गया उसे अपनी ज़िन्दगी में सफलता चाहिए थी…उसे मिल भी गया होगा…उससे खुद के लिए सिंगर बनना था…मैं तुझे ऐसे नहीं देख सकती…”Just leave all this”…
लेकिन मैं तो मैं थी ना…अपने ज़िद्द पर अड़ी…१ से २..२ से ३,,३ से ४ साल बीत गए इंतज़ार करते -करते मुझे…
अब तो मेरे घर वाले मेरी शादी की बाते भी करने लगे थे मैं जो सेटल भी हो गई थी डॉक्टर बन गई थी मैं …
आज अचानक से मुझे क्लिनिक में बैठे बैठे अपनी पर्सनल डायरी पर नजर गई जो …उसमे मुझे एक ईमेल -आईडी मिली मैंने उससे सर्च किया…जो मुझे उस अनजाने लड़के से मिली थी..
मेरी खुशी का ठिकाना ना था…पहली बार जो मेरे पहले प्यार का दीदार हुआ…उनके प्रोफाइल फोटो और कंपनी लोगो( के साथ उनका भी नाम था…
और उनकी पर्सनल डिटेल,से लेकर उनकी होब्बी लिस्ट को भी मैंने देख लिया जिसमे उनकी पसंदीदा शायरी थी जो उन्होंने मेरे लिए लिखा था-
“आपके जैसा कोई और मिले ज़माने में ये नामुमकिन,,,तो है,,
पर मिले आपको हमारे जैसा ये भी मुश्किल लगता है…”
बस एक ही चीज़ था जिसे मैं चाहते हुए भी नजर अंदाज़ कर रही थी,,,जो की उनके पर्सनल डिटेल से जुड़ा था…
और वो था उनका “मैरिड स्टेटस” जिसमे शायद मैरिड लिखा था…लेकिन दिल जान कर भी उससे सिंगल बनाने में लगा था….
वो कहते है ना…
आँखे तरश गई उनकी झलक पाने को..
वक़्त के वीराने ने सता रखा था..
तभी एक अहसास सी महसूस हुई मुझे उनके करीब होने की…
और उनकी इसी करीबी ने मुझे वीराने से दूर कर रखा था…

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