Maa
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१,दीवानें कहते है मोहब्बत में मंजिल
ना मिलकर भी मिलती हैं…
लोग क्या जाने मोहब्बत की इस मंजिल को….
ये तो वो मंजिल हैं,,
जो जहन्नुम में भी जन्नत का अहसास कराती हैं…..
२.कहा था, उन्होंने भूल ना पाउँगा जाना तुम्हें….
तुम तो ज़िन्दगी की जरुरत हो….
जिसने खुद को भूल कर ली थी…
ना भूलने की कस्मे हमसे….
आज वो हमें तन्हा छोड़ गए..
शायद कुछ तो खता हमने भी की होगी….
तभी तो अपनों के बीच हम गैर होकर…
रह गए….
३.क्या कहुँ तुमसे हर जहाँ में इश्क़ हैं,
हर बला,हर ख़ुशी में इश्क़ हैं..
हर दुआ, हर मन्नत में इश्क़ हैं…
एक बार मेरी नजऱ से तो देखो…
तुम्हारी हर अदा खुद में ही एक इश्क़ हैँ…
४.आज तो उनकी ख़ामोशी ने हमे हँसा दिया..
इस हँसी ने हमे बेबस बना दिया…
हँसते तो हम भी थे…
तो फिर आज क्यों हॅसते- हॅसते रुला दिया…
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