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खुदा…

Maa
Maa
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@ए खुदा किस मोड़ पर ला खड़ा कर दिया है.
न ही खुद का पता है ना ही मेरे परछाई का …
नाकाम हो गए हैं हम खुद का वजूद दुड्ने में …
फिर भी ये नाकामी किसी को रास नहीं आती ….
@ए खुदा ये रास्ता भी कैसा है…
खत्म होने का नाम ही नहीं लेता …
उलझ गए है हम मंजिल को ढूढने में ..
फिर भी ये उलझन किसी को रास नहीं आती ….
@ए खुदा कैसा ये फरेब है …
न ही सच का पता है न ही झूट का …
थक गए है हम खुद को सँभालते-सँभालते ..
फिर भी ये थकन किसी को रास नहीं आती …
@ए खुदा कैसा ये पल है ..
न ही किसी को गुस्ताखी है न ही किसी से गुस्ताखी है ..
ऊब गए है हम खुद को माफ़ करते – करते …
फिर भी ये ऊबन किसी को रास नहीं आती ….
@ ए खुदा कैसा ये पल है ..
न ही जी पाते है न ही मर पाते है …
घुट कर रह गए है हम जबरदस्ती मुस्कुराते –मुस्कुराते .
फिर भी ये घुटन किसी को रास नई आती ..
@ ए खुदा कैसी ये खुद से ही खुद की ज़िद है ..
न ही खुद को जीतने देती है न ही हारने..
फरेब बन गए है हम खुद की ही ज़िद से ..
फिर भी ये ज़िद खुद को रास नहीं आती ..

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